Friday, July 15, 2016

घन्तर-11 : भिकूदा, नेता जी संवाद



भीकू दा- नमस्कार नेता जी
मंत्री- नमस्कार जी नमस्कार ! कैसे हो और कैसे आना हुवा?
भीकू दा- जी आपसे मिलने आए हैं ।
मंत्री -कुछ काम तो होगा न या एसे ही चले आए ? जल्दी बोलो क्या काम है ?
भीकू दा -क्यूँ मतदाता अपने मंत्री से मुलाक़ात नहीं कर सकता है ?
मंत्री-देखो मेरे पास समय नहीं है
भीकू दा - मरने जा रहे हो क्या?
मंत्री- मतलब ?
भिकूदा- आपके पास काम आधिक होगा ना लेकिन कभी मतदाता से दो टूक बात भी तो कर लेते।
मंत्री-देखो मतदाता वोट देने तक के ही थे। वैसे भी आपके पास क्या सबूत है कि आपने मुझे मतदान दिया था?
भिकूदा- तो क्या मरे हुए लोग आपको मत दान दे गये थे।
मंत्री-मतलब ?
भीकूदा-मतदाता ने  वोट नहीं दिया तो किसने दिया। फिर तो कोई भूत ही आए हौंगे बूथ पर आपको वोट देने।
मंत्री-पैसे ख़र्च किए थे मैंने। पानी की तरह पैसा बहाया था उस से जीता हूँ ना की आपके वोट से।
भिकूदा-ओ हो तब तो आप पैसे के लिए ही काम करोगे
मंत्री-कहना क्या चाहते हो ?
भिकूदा-अब आपको पैसों ने जिताया है तो स्वाभाविक है अब आप पैसे के लिए ही काम करोगे। पैसा ही कमाओगे पैसा ही खाओगे तो एसे में जनता का क्या होग ?
मंत्री- एसा तो मैंने नहीं कहा। तुम लोग मेरी बात को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हो। यह बाताओ कि आप किस उद्देश्य से आये हो?
भीकूदा- उद्देश्य तो था पर आपकी बातें सुनने के बाद यह तय है कि आप उसका भी मूल्य लेंगे।
मंत्री- देखो अगर मुझे लाभ मिला तो आपका काम ज़रूर करूँगा।
भीकूदा- काम तो था परंतु लाभ मिलेगा यह कह नहीं सकता।
मंत्री- जब कोई लाभ ही नहीं मिलने वाला तो फिर किस मुँह से आये थे।
भीकूदा- आप हमारे जनप्रतिनिधि ठहरे तो सोचकर आया था कि आप हमारा प्रतिनिधित्व करेंगे । पर ....
मंत्री- पर क्या ?
भीकू दा- रहने दें आपकी बातों ने ही बहुत कुछ कह दिया।
मंत्री-देखो फ़ालतू काम के लिए मेरे पास समय नहीं है आप जा सकते हैं
भीकू दा- जी धन्यवाद। (जाते जाते) ध्यान रहे अगला चुनाव सर पर है......। भास्कर जोशी

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