मन में इक उमंग सा,
खिल उठा तरंग सा,
पग पग डोलूं मैं,
उस की राह देखूं मैं ।
न जाने किस राह पर,
किसी अनजाने मोड़ पर,
किस अम्बर के निचे,
मिले खुशियों के लहर ।
किस डगर ढूढुं उसे
मन के नैन निहारते उसे
धुधली सी तस्वीर लिए ।
मन में इक विस्वास लिए,
फिरता है चारों ओर उसे,
पूर्व तो कभी पश्चिम की ओर,
निकल पढता मंजिल की ओर ।
2 comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति
मन में इक उमंग सा,
खिल उठा तरंग सा,
पग पग डोलूं मैं,
उस की राह देखूं मैं ।
बहुत बहुत धन्यवाद "फरियादी" जी
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