घंतर -19
भिकुदा नमस्कार । इसबीच आप गांव गए थे होली पर क्या विशेष रहा?
नमस्कार जी। आपने सच कहा गांव के होली बार त्यौहार का अनुभव हमेशा ही अद्भुत रहता है। अक्सर हम देखते हैं लोग संस्कृत बचाओ, भाषा बचाओ को लेकर धरना आंदोलन करते रहते हैं। और यह सब होता है शहर में रहकर। मानते हैं कभी आपको समय न मिला हो पर हर बार समय न मिले यह संभव नहीं। अपनी संस्कृति सभ्यता बचाने की जिमेदारी आप और हम पर है। यदि हम लोग ही अपने परम्परा से दूर होने लगे तो भला यह संस्कृति भी कब तक बची रहेगी। धरना आंदोलनों से तो सिर्फ आपका हिंसापन ही दीखता है। और फिर गलती करें आप फिर दोषी ठहराएं सरकार को यह कहीं से भी ठीक नहीं लगता।
सत प्रतिशत सत्य कहा आपने। दूसरी बात यह कि उसबीच आपका किसी से विवाद हुवा था क्या यह सच है ?
विवाद नहीं भाई। बस यों ही थोड़ी नोक झोक बातों ही बातों में हुई थी। जो पूर्ण रूप से तर्क पूर्ण था।
भिकुदा आपके चाहने वाले जानना चाहते हैं कि किस विषय को लेकर नोकझोक हुई थी?
मुझे दुःख तब हुवा जब एक दुकान में सामान लेते वक्त दुकानदार ने प्लास्टिक की थैली देने से इंकार करते हुए यह दुहाई दी कि प्लास्टिक की थैली रखने पर 500 का जुर्माना है। और हमने थैली रखना बंद करदिया। एक ओर बहुत अच्छा लगा की प्लास्टिक की थैली बंद कर दी। पर प्रश्न यहाँ पर उठता है ग्राहक की सुविधा हेतु थैली ही बंद क्यों ? जबकि सभी प्रकार के प्लास्टिक बैन होने चाहिए। तमाम कम्पनियां प्लस्टिक पैकेजिंग कर हम तक पहुंचा रही हैं। क्या वह सही है ? उन कम्पनियों पर जुर्माना या बैन क्यों नहीं किया जाता।
भास्कर जोशी
भिकुदा नमस्कार । इसबीच आप गांव गए थे होली पर क्या विशेष रहा?
नमस्कार जी। आपने सच कहा गांव के होली बार त्यौहार का अनुभव हमेशा ही अद्भुत रहता है। अक्सर हम देखते हैं लोग संस्कृत बचाओ, भाषा बचाओ को लेकर धरना आंदोलन करते रहते हैं। और यह सब होता है शहर में रहकर। मानते हैं कभी आपको समय न मिला हो पर हर बार समय न मिले यह संभव नहीं। अपनी संस्कृति सभ्यता बचाने की जिमेदारी आप और हम पर है। यदि हम लोग ही अपने परम्परा से दूर होने लगे तो भला यह संस्कृति भी कब तक बची रहेगी। धरना आंदोलनों से तो सिर्फ आपका हिंसापन ही दीखता है। और फिर गलती करें आप फिर दोषी ठहराएं सरकार को यह कहीं से भी ठीक नहीं लगता।
सत प्रतिशत सत्य कहा आपने। दूसरी बात यह कि उसबीच आपका किसी से विवाद हुवा था क्या यह सच है ?
विवाद नहीं भाई। बस यों ही थोड़ी नोक झोक बातों ही बातों में हुई थी। जो पूर्ण रूप से तर्क पूर्ण था।
भिकुदा आपके चाहने वाले जानना चाहते हैं कि किस विषय को लेकर नोकझोक हुई थी?
मुझे दुःख तब हुवा जब एक दुकान में सामान लेते वक्त दुकानदार ने प्लास्टिक की थैली देने से इंकार करते हुए यह दुहाई दी कि प्लास्टिक की थैली रखने पर 500 का जुर्माना है। और हमने थैली रखना बंद करदिया। एक ओर बहुत अच्छा लगा की प्लास्टिक की थैली बंद कर दी। पर प्रश्न यहाँ पर उठता है ग्राहक की सुविधा हेतु थैली ही बंद क्यों ? जबकि सभी प्रकार के प्लास्टिक बैन होने चाहिए। तमाम कम्पनियां प्लस्टिक पैकेजिंग कर हम तक पहुंचा रही हैं। क्या वह सही है ? उन कम्पनियों पर जुर्माना या बैन क्यों नहीं किया जाता।
भास्कर जोशी
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