Wednesday, March 1, 2017

भीकूदा से सीधी बात

बल भीकू दा इसबार किसकी सरकार बन रही है उत्तराखंड में ?

भुला सरकार मोदी जी की बने या ट्रम्प की मिलना तो हमें सिर्फ भाषण ही है। यदि भाषणों से पेट भर जाता तो हम भाषण खाते । भाषण पीते, भाषण ही भाषण होता पर यह भाषण नहीं बल्कि उत्तराखंड के भषाण हैं जो हजम न होकर अपच कर रहा है।

बल भीकू दा आप तो न चुनाव प्रचार में दिखे न ही किसी पार्टी के पक्ष में बोले,? जबकि 2014 के लोक सभा चुनाव में मोदी मोदी बोले थे ऐसा क्यों ?

देखो भुला आशा थी कि नई सरकार आएगी तो तो कुछ करेगी। जबकि उस समय की मौजूदा सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त थी। जहाँ देखते थे या सुनते थे फलाना घोटाला ढिम कना घोटाला ही सुनने में आता था । यही कारण था कि पूरा देश बदलाव के मूड में था जिसके झोंके में हम भी लहरा गये थे। परंतु उत्तराखंड की स्थिति बड़ी नाजुक है। यहाँ के मानुषों की देख रेख में दोनों ही पार्टियां विफल रही हैं।

बल भिकुदा लोग तो बोल रहे हैं मोदी जी न किसी को खाने देंगे न ही खुद खाएंगे ?

भुला जब किसी को न खाने देना है न खाएंगे तो शौचालय बनाने की जरुरत ही क्या है। जब कुछ खाएंगे ही नहीं तो शौचालय जाने की जरुरत ही क्यों? अब उत्तराखंड का ही गणित देख लीजिए यहाँ एक शौचालय देहरादून में बना दिया दूसरा गैरसैण में बनने जा रहा है। और यह भी कहते हुए सुना है कि छः महीने देहरादून के शौचालय में जायेंगे और छः महीने गैरसैण में । आखिर यहाँ दो शौचालय बनाने की जरूरत क्यों? क्या यह उत्तराखंड की जनता को लूटकर नहीं बनाया जायेगा ?

बल भिकुदा सभी राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र में गैरसैण को प्रमुखता दी है?

जरूर दी होगी भुला, इसमें कोई संका नहीं। क्योंकि वह दीर्घ संका है अगर वे गैरसैण को महत्व नहीं देंगे तो पेट खराब होने पर कहाँ जायेंगे? राजनीतिक पार्टियां पहले शौचालय जाने का पूरा बंदोबस्त कर लेती हैं। वे जानते हैं शौचालय जानता के मन रखने के लिए बनाया जाता है  जबकि उसका उपयो राजनीतिक पार्टियां ही करती हैं। तो भुला जब जनता का पेट खराब हो जाए तो वे कहाँ जायेंगे ? गधेरे में ही ना !

बल भीकू दा इधर उधर न जाते हुए सीधे मुद्दे पर आते हैं । 11 मार्च को उत्तराखंड का परिणाम घोषित होने वाला है आपको क्या लगता है किसकी सरकार ?

भुला सरकार कोई भी बनाये , किसी भी पार्टी की बने , सरकार जनता की हो तो बात बने। पर ऐसा कभी होता नहीं। सरकार सिर्फ नेताओं की बनती है। उधर से काना फूसि भी हो रही कि नेताओं के बीच खरीदारी शुरू हो गयी है बल। और जीतने पर करोड़ों में बोली लग रही है। अब यह बताओ कि मंत्री संत्री बनने के बाद ये भरपाई कहाँ से करेंगे ?

भिकुदा आप राजनीतिक पार्टियों से इतने खिन्न क्यों ?

खिन्न नहीं हों तो और क्या होवें, उत्तराखंड को बने हुए 17 साल हो गए, उत्तराखंड की जनता को मिला क्या- पलायन, बेरोजगारी, ऊपर से शराब के ऑटो मोबाइल सर्विष दे डाली। जहाँ महिलाओं ने लड़ झगड़ कर ठेके बंद करवाये थे वहां चलते फिरते शराब के ठेके लगा डाले। ऐसे में सरकारों से हम क्या उम्मीद रखें ?

भिकुदा से सवाल जबाब जारी है।
बने रहे भिकुदा से
धन्यवाद
नमस्कार
पभजो

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