Monday, July 3, 2017

मेढकों की महासभा



पास से गुज़र रहा था, वहाँ पर देखा कि बहुत से बड़े-बड़े दल-दल थे। उन दल दलों में अपार मेढकों की संख्या। ताज्जुब करने वाली बात यह रही कि वे सभी मेंढक इंसानी भाषा में बात कर रहे थे। उनकी टर टराने की आवाज मेरी कानों में बहुत तेजी से आ रही थी। शोर गुल इतना कि कान बंद करने की नौबत आ पड़ी। कान में दोनों उंगुलियों को घुषोडने के बाद भी उनकी आवाज फिर भी आ ही रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उनकी सभा चल रही हो  और वे टिकट बंटवारे के लिए नोक झोक के साथ साथ छिना झपटी भी कर रहे हो।

मन किया इन मेढकों को जरा सुना जाय। पता तो चले कि मेढक क्या बात करते हैं। मैंने भी अपने कानों से दोनों उंगलियां बहार निकाल ली। पास ही एक पत्थर पर बैठ गया और उनकी कलाबाजी देखने लगा।परन्तु उनकी  नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी वे सभी एकदम सुन्न, मानो सन्नाटा छा गया, सभी दल-दल की गहराई में जा छुपे। मैं फिर भी ताकता रहा , क्या पता कुछ मजेदार बात निकालकर आये, और मुझे भी मिर्च मशला मिल जाए। इतने में एक मेढक दल दल से  मुंडी बहार निकालते हुए कुछ अजीब सी आवाज निकालने लगा कि सारे मेढक, एक एक कर दल दल से अपनी मुंडी दिखाने लगे।  उन में से एक मेढक पूरा का पूरा बहार निकल आया और बाकियों ने सिर्फ मुंडी ही बहार निकाल रखी थी।  बहार निकलने वाला बड़ा सा मेढक सबसे टॉप पर बैठ गया।वहां से  टरटराते हुए वह सभी को संबोधित कर रहा था । बाकि के मेढक उसी की ओर देखकर बड़ी शांतिपूर्वक सुन रहे थे।

कुछ देर बाद उनके बीच कुछ बातें हुई, टॉप पर बैठा हुआ कुछ पलभर के लिए  जैसे ही चुप हुवा कि देखते ही देखते सभी मेढक शोर मचाने लगे। उनके बीच हाथापाई होने लगी , एक के ऊपर एक चढ़ने लगे। गुस्साये कुछ मेढक इस दल दल से उस दल दल में जाने लगे।  उनकी आवाजाही एक सांप भी बड़ी तल्लीनता से देख रहा था। वह भी मौके की तलाश में था कि जैसे ही इनका ध्यान टर-टराने पर रहेगा, इस दल से उस दल में कूदेंगे तो तैसे ही अबकी बार इस दल-दल में , मैं घुस ही जाऊँगा। मगर सांप पर चील भी नजर गढ़ाए हुए था। वह भी यही सोच रहा था जैसे ही यह सांप बिल से बाहर निकले , सीधे झपट्टा मारूँगा।

इधर मेढकें दल-दल बदलने की  खेल में मस्त थे कि तभी सांप दल -दल में घुस गया। सांप ने दल दल में फुंकार मारते हुए, मेढकों को ढूंढने लगा, इतने में सारे के सारे मेढक गायब।मेंढक दल-दल में दल बनाकर अंडरग्राउण्ड हो गये।  सांप गुस्से से दल दल में फुंकार मार ही रहा था कि चील ने धावा बोल दिया और सांप को ले उडा। सांप दल -दल में अपना थोड़ा बहुत  जहर फैला चुका था। चील को देख मेढकों जान में जान आयी। सभी मेढकों ने चील को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए धन्यवाद दिया। इधर दल दल में सांप का विष से छटपटाए मेढकों का टर-टराना फिर से शुरू हो गया।
भास्कर जोशी

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