Tuesday, March 22, 2016

आँचल की पीढ़ा

आँचल की पीढ़ा

भूल गए तुम, अपने आँचल को ।
याद भला, तुम्हें कैसे आये।
देव भूमि में, जन्मे थे तुम ।
इसी जननी को, तुम भूल गये।
भूल गये............

अपनी आँचल की छांव में, पाला है तुम्हें ।
जो भी माँगा, सीने से लगाकर दिया तुम्हें।
जीने के लिए, सबकुछ तो दिया तुम्हें ।
इक बार तो मुझे याद किए होते ।
भूल गये............

पहाड़ ही  हूँ मैं , तुम्हारे लिए ।
जो यादों का बोझ, ढोये जा रही ।
नन्हें से थे तुम, खेले कूदे।
जवानी आते ही, मुझको भूल गये।
भूल गये............

इतने निष्ठुर, तुम कब, कैसे हो गये।
जो माँ माटी की याद न आए ।
कास कि तुम जान पाते, आँचल की पीड़ा को ।
तो मेरा आँचल, इसक़दर सुना न होता ।
भूल गये............
-भास्कर जोशी'पागल'

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