Tuesday, March 22, 2016

हरदा दिलाओ ना

हरदा दिलाओ ना

भिकूदा बोला हरदा से
शारबियों की भी पिनशन लगाओ
जेब भी ख़ाली ख़ाली सी
पेट भी है ख़ाली ख़ाली
कुछ न मिला तो
न रहेगी जान हमारी
दो बूँद ज़िंदगी की
शराब हमें पिलाओ ना
भिकूदा..........

नौकरी पानी मिलती नहीं
खेती पाती भी रही नहीं
शुगर बंदर और छोड़ दिए
हमारा खाना पाणी भी खा गये
अब गुज़ारा कैसे हम करेंगे
जुगाड़ लगाकर
आरक्षण हमें भी दिलाओ ना
भिकूदा .....

आमा बूबु की पिनशन लगवाई
मँगाईयों की भी पेंशन दिलाई
रह गये हम दो सैणी मैस
साथ में लद गया बाख़ौड़ भैंस
अब खाने के भी पड़ गए लाले
बिरोज़गारों शारबियों को भी
पिलशन दिलाओ ना
भीकू दा .........

ठेके वाले हमको पऊवा देते नहीं
ब्याव को दो पैक पीने को मिलता नहीं
एसे कैसे हम जिएँगे
ब्याव को हम कैसे घुरी-पड़ी मिलेंगे
शारबियों की इजात तुम्हारे हाथों में
चक्कर ऐसा कुछ चलाओ ना
जोकि मिला करे घर-गोठ्यारों में
भिकूदा बोला हरदा से ........

भास्कर जोशी पागल

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