Wednesday, October 5, 2016

सियासी भेड़ियों की सियासत

कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के कुछ चंद लोग, सच मानिये तो चंद लोग नहीं चंद नेता  सेना पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। क्या यह उचित है ?

इसी रविवार को जब हम अपने घरों में छुट्टी मना रहे थे, कुछ लोग मॉल में घूम रहे होंगे , कुछ लोग मूवी देखने थिएटर गए होंगे तो कुछ लोग किसी न किसी बहाने मौज मस्ती कर रहे होंगे पर तभी पकिस्तान से कुछ आतंकियों ने भारत में घुसने की कोशिश की। उस वक्त बॉडर पर 24 साल का जाबांज सिपाही अपने एक और साथी के साथ निगरानी रख रहा था। कि तभी पकिस्तान की ओर से कुछ आतंकी भारत की ओर घुस आए। तब उस 24 साल के बहादुर देश भक्त ने उन आतंकवादियों के साथ गोला बारी शुरू हो गयी। इसी के चलते उस 24 साल के लड़के का साथ दे रहा दूसरा माँ भारती का लाल सहीद हो गया। लेकिन उस जाबांज 24 के लड़के ने अपनी हिम्मत दिखाते हुए उनसे लड़ते रहा। तभी आतंकियों ने गर्नेट दाग कर उस जाबांज सिपाही को घायल कर दिया परन्तु इसके बाद भी वह भारत माँ की रक्षा के लिए लड़ता रहा और कई आतंकियों का खात्मा कर दिया।
गोली बारी की आवाज सुन भारत की सेना टुकड़ी वहां पहुंची तो उनके साथ मिलकर शेष बचे हुए आतंकियों को उलटे पांव भागने को मजबूर कर दिया। और यह सब 24 साल के जाबांज देश का सच्चा रक्षक ही कर सकता है।
इधर सियासी भेड़िये अपने गन्दी राजनीति करने के साथ साथ देश के रक्षकों पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। क्या कुर्सी की लालसा में आदमी इतना नीचे  गिर जाता है कि उसे सही गलत में फर्क नजर नहीं आता हो? देश की रक्षा करने वालों से सबूत मांगे जा रहे हैं? देश की मर्यादा अखंडता को दरकिनार कर देश द्रोह पर उतर आये हैं। यह कहाँ तक उचित है???

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