Wednesday, October 5, 2016

हिंसा का मार्ग सही कैसे

शहीद सरदार भगत सिंह को याद कर आज मन में कई सवाल अंदर ही अंदर द्वन्द कर रहे हैं । शायद इसका जवाब आपके पास हो।

एक ओर भारत को ब्रिटीश की गुलामी से आजादी दिलाने वाला शहीद सरदार भगत सिंह है तो उधर आतंकी बुरहान वाणी । दोनों में कितना अंतर है यह मैं स्पष्ट नहीं कर पा रहा हूँ। हो सकता है कि इस पोस्ट को डालने के बाद कई लोग नाराजगी जाहिर करे पर सत्य अपनी जगह पर है।

हर माँ यही चाहती है कि उसका बेटा सरदार भगत सिंह जैसे देश भक्त हो।  जिसने आजदी के लिए हँसते हँसते अपनी जिंदगी भारत के नाम कर दी। ये वही शहीद सरदार भगत सिंह है जिन्हें तब ब्रिटिश सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था। हिंसा के बल पर ब्रिटिश की नींव हिला डाली थी। भारत को आजाद कराने के लिए उन्होंने हिंसा का मार्ग अपनाया और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर फांसी के तख्ते पर लटका दिया। तब हिंदुस्तानियों ने सरदार भगत सिंह की इस कुर्बानी को भारत के लिए शहादत करार दिया।

अब दूसरी ओर है आतंकी बुरहान वाणी। जो कश्मीर को भारत से आजाद करना चाहते हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ऐसा हम मानते हैं पर वे कुछ कश्मीरी अपने को आजाद नहीं समझते इन्हें लगता है कि वे भारत में गुलाम है। वे अपने को आजाद कराना चाहते हैं कश्मीर को आजाद कराने के लिए बुरहान वाणी ने भी वही हिंसा का रास्ता चुना जो शहीद सरदार भगत सिंह ने चुना था।

इन दोनों में अंतर स्पष्ट नहीं कर पा रहा हूँ क्या आप मदद कर सकते हैं ?-
भास्कर जोशी

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