Wednesday, October 5, 2016

एक और भद्दी सियासत

कल दिल्ली में मनीष सिसोदिया प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारान उनपर एक व्यक्ति ने स्याही फेंक दी। मुझे बहुत ख़ुशी मिली। वह स्याही फैकने वाला व्यक्ति किसी पार्टी से था या नहीं यह अलग मुद्दा है पर स्याही फेककर उसने अच्छा ही किया ।
दिल्ली में आप को वेश्या वृति करने के लिए जनता ने  कुर्सी पर नहीं बैठाया था बल्कि जनता के लिए कुछ काम करेंगे इस लिए बैठाया था पर आप ने क्या किया। रास लीला, वासना व कुर्सी के मोह में अय्याशियां। क्या यही थी आपकी नई राजनीति।
दिल्ली में हर साल इस मौसम में डेंगू और चिकनगुनिया जैसे जान लेवा बीमारियां पनपती हैं क्या आप को यह पता नहीं था। तब भी आप रंगरलियां मनाने विदेश चले गए। दिल्ली की जनता अस्तपतालों  पर पड़े पड़े अपनी बिमारी से लड़ रहे हैं तब इसे में आप दिल्ली की जनता से दूर मौज मस्ती कर रहे हैं। बाद में इसे राजनितिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं ।
सायद आप को याद हो या न हो पर मुझे अच्छे से याद है जब दिल्ली में शिला दीक्षित की सरकार थी तब आप ने क्या किया। कैसे कैसे नौटंकियां दिखाई थी। धरना दे दे कर आपने फालतू के सड़कों पर जाम लगाया था। तब से आजतक आप का क्या बदल गया । आप पहले भी जनता  को परेशान करते थे आज भी सरकार की कुर्सी मिल जाने के बाद भी जनता को परेशान ही कर रहे हैं
ऐसे लोगों पर स्याही क्या और कुछ फेकने चाहिए । जिस से ये राजनीति करना भूल जाएं। लेकिन साथ ही यह हिन्सा ठीक नहीं है. किसी पर स्याही या कुछ फेकना हिन्सा माना जाता है . विरोध के लिए ओर भी तरीके हैं.

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