Wednesday, October 5, 2016

युद्ध हुआ तो ....................


उडी में हुए आत्मघाती हमले से पूरा भारत खौल उठा है हर भारतीय नागरिक पकिस्तान से बदला लेना चाहता है जो कि स्वाभाविक है। एसे मौक़े पर हर भारतीय का ख़ून खौल उठता है। जिस प्रकार पाकिस्तानी आतंकियों ने कायराना तरीक़े से आघात पहुँचाया है तब एसे समय में भारतीय नागरिकों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर होना लाज़मी है चाहे वह हिन्दू हो या भारतीय मुस्लिम समाज। हर कोई पाकिस्तान को सबक सीखाने की बात  कहता है।

जब अपनों की जान पर बात आती है तब पूरा हिंदुस्तान एक होकर दुश्मन से बदला लेने को आतुर हो जाता है। हर हिंदुस्तानी उड़ी में हुए आतंकी घटना होने के बाद से पकिस्तान से बदला चाहता है। पाकिस्तान की आतंकवादी विचारधारा एक नपुंसक की भाँति है  जो सामने से वार करने के बजाय छुप छुप कर पीठ पीछे से कायराना हमला करता है। एसे आतंकियों पर नकेल कसना बहुत ज़रूरी है। भारतीय सेना के जवान एसे कायरों पर लगाम लगाने में सक्षम है।

सोशल मीडिया की अगर बात करें तो भारत के कोने कोने से एक ही आवाज़ उठ रही है कि पाकिस्तान से सीधे युद्ध कर आमने सामने की जंग का एलान कर दी जाय। परंतु सीधे तौर पर जंग करना क्या ठीक रहेगा?   अगर एसा होता है तो भारत की अर्थव्यवस्था के साथ साथ प्रधानमंत्री जी के विकास के दावों पर भी पानी फिर जाएगा। इस से अच्छा यही है कि पाकिस्तान का हुक्का पानी बंद कर दिया जाय। ताकि दुनियाँ की नज़र में पाकिस्तान अलग थलग पड़ जाए।

इधर प्रधानमंत्री मोदी जी की कूटनीति की तारीफ करनी होगी जिसके कारण पाकिस्तान की छटपटाहट नजर आ रही है। उसकी घबराहट साफ़ देखी जा सकती है। उड़ी हमले के बाद से वह अत्यधिक घबराया हुआ है कि भारत युद्ध ना छेड़ दे। लेकिन भारत सीधे युद्ध ना करके उसे कूटनीतिक तरीक़े से मात देने का मन बना चुका है। यह जरुरी नहीं कि हर बार बन्दुक की नोक के बलबूते से ही बदला लिया जाए , बदला लेने के कई और कूटनीतिज्ञ कारण भी हो सकते हैं ।

अगर सीधे आमने सामने पाक के साथ युद्ध हुआ तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि आधुनिक समय में युद्ध होना कितना विनाशकारी हो सकता है। यह राजा महाराजाओं के ज़माने का युद्ध नहीं होगा। ना ही यहाँ तलवार बाज़ी से युद्ध जीते जायेंगे। यहाँ सामना होगा विस्फोटक परमाणु एटम बम व घातक मिशाइलों से। ये एटम बम व मिशाइलें मौजूदा पीढ़ी के साथ साथ आने वाली नशलों को भी तबाह कर देगा।  जब भी परमाणु बम की बात उठती है तब हिरोशिमा और नागासाकी का ज़िक्र हमेशा याद किया जाता रहा है। सत्तर साल बीत जाने के बाद भी वह भयावह मंज़र याद दिलाता है कि परमाणु बम कितने ऊँचे दर्जे का राक्षस है और कितनी तबाही मचा सकता है जबकि समय के साथ साथ उन एटम बमों की शक्ति में इज़ाफ़ा होता गया है।

इधार अभी ताज़ा हाल सीरिया को ही देख लें।सीरिया युद्ध में हुए आत्मघाती बम विस्फोटों ने कितना नुक़सान पहुँचाया हैं। मौजूदा जनधन  की हानि होने के साथ साथ भविष्य की आने वाली नई पीढी पर कितना असर पढ़ा है। इसका आपने अंदेशा भी नहीं लगाया होगा। आज इंटरनेट मोबाइल हर किसी के हाथों में है ज़रा यूट्यूब पर सर्च कर सीरिया के विडीओज़ देखें, नवजात बच्चे किस प्रकार उन एटम बमों से ग्रसित हैं। यह देखने के बाद आप जान पाएँगे कि वर्तमान में युद्ध करना कितना विनाशकरी हो सकता है।आज यह संभव नहीं है कि जब किसी दो देशों के बीच युद्ध हो तो किसी एक ही देश का नुकसान होगा। बल्कि दोनों देशों को उसका नतीजा भुगतना होगा।

उधर अगर युद्ध की बात करें तो युद्ध करना अंतिम फ़ैसला है । जब कोई रास्ता न दिखे तब युद्ध ही एक मात्र सहारा है। अभी हमारी केंद्र सरकार बन्दुक की नोक पर युद्ध न करके कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तानको घुटने टेकने पर मजबूर करेगी। सरकार को अभी युद्ध के लिए उकसाने की कोशिश न करें। युद्ध करना न करना अंतिम फैसला होगा। पर अभी भारत के पास कई विकल्प है पाकिस्तान का दम घोटने के लिए।

आज के हालात भिन्न हैं हम लोग घर के किसी एक कोने में दुपक कर फ़ेसबुक, व्हट्सप, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया में अपनी प्रतिक्रियाएँ दे रहे होते हैं कि पाकिस्तान को सबक़ सीखाने के लिए युद्ध लड़ना चाहिए और यह सब एक कमरे में बैठे बैठे टेट्स डाल दिया जाता है। यह कहाँ तक उचित है। भावनायें व्यक्त करना अलग बात है और उकसाना कैसे ठीक हो सकता है इसपर विचार करना अतिआवश्यक है।
भास्कर जोशी
९०१३८४३४५९

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