Tuesday, October 25, 2016

सरकार की कथनी और करनी में अंतर है

केंद्र सरकार का नारा है स्वदेशी अपनाओ वहीँ दूसरी ओर नारा है आओ हमने FDI के लिए लाल कार्पेट बिछाया है।
साहब अजीब उलझन है एक ओर चाइनीज सामानों को न खरीदने के लिए लोगों से अपील करते हो वहीँ सरकार करोड़ों की मैट्रो डील करती है। जब स्वदेशी ही अपनाना है तो सरकार FDI को भारत में घुश्ने ही क्यों दे रही है। क्यों FDI को बढ़ावा दे रही है? कहीं न कहीं केंद्र सरकार की नज़रों में खोट नजर आता है। यही FDI जब कांग्रेस ला रही थी तब विपक्ष में बैठी बीजेपी इसके विरोध में थी वह नहीं चाहती थी की FDI भारत में आये। परन्तु विपक्ष  से जैसे ही वे सरकार में आये तो FDI इनकी पहली प्रार्थमिकता बन गयी।

हर बार इनके नीति और नियति में खोट दिखाई देता है। वहीँ भक्त लोग इस बात से अघाते नहीं फिर रहे उनका कहना है मोदी जी जो भी कर रहे हैं वह बहुत अच्छा कर रहे हैं। परन्तु वे उन दूरगामी परिणामों से कोशों दूर हैं कि भविष्य में यों ही कोई 15-20 साल बाद भारत दिवालियापन की ओर बढ़ा चलेगा। और यह सिर्फ FDI की नीतियों के कारण होगा।  यदि भारत को किसी देश से सीख लेनी हो तो वह है हमारा पडोशी बांग्लादेश । जो आहिस्ता आहिस्ता स्वदेशी के बल बुते अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है।

वहीँ भारत में गरीबों की आबादी लगभग 65% के आसपास है। अब यह सीधी सी बात है कि आज के आधुनिक युग में हर किसी को मोबाईल चाहिए । गरीब व्यक्ति भी यही चाहेगा कि मैं भी जमाने के साथ चलूँ। महंगा न सही पर अपनी जरूरत के हिसाब से एक सस्ता सा मोबाईल खरीद लूँ। ऐसे वक्त में हम ये कहें कि स्वदेशी अपनाएं तो स्वदेशी मोबाईल कंपनी भारत की एक भी नहीं यहाँ तक कि सारे पुरचे तक चाइना से बनकर आते हैं । हर व्यक्ति यही चाहता है कि मुझे जहाँ सस्ता और टिकाऊ सामान मिले उसे खरीदे। हर कोई दो रुपये कमाना या बचाना चाहता है। और आप कहते हैं चाइनीज सामान का बहिष्कार करो। माननीय प्रधनमंत्री जी मैं बहिष्कार करने के लिए तैयार हूँ तो क्या आप चाइना द्वारा करोड़ों की डील का बहिष्कार कर सकते हैं? यदि हमारा प्रधान सेवक ऐसा कर सकता है तब पूरा देश आपके साथ खड़ा है  क्या आप ऐसा करेंगे?
-भास्कर जोशी

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